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AMU: दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन

 AMU: दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन

Seminar on Divine Books and Other Religious Books History and Introduction

अलीगढ़, 30 जूनः मौलाना सैयद सिबतैन हैदरसज्जादा नशीन मारहरा शरीफ ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के धर्मशास्त्र संकाय में आयोजित ‘‘स्वर्गीय पुस्तकें और अन्य धार्मिक पुस्तकेंरू इतिहास और परिचय‘‘ पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि पश्चिम ने दुनिया को सभ्यताओं के टकराव की खतरनाक अवधारणा दी है। पूरब के धर्मों और सभ्यताओं के बीच प्रेम और सहयोग का संदेश उचित तरीके से दिया जाना चाहिए। हिन्दू और मुसलमानों को मिलकर इस मिशन को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय इसमें अग्रणी भूमिका निभा सकता है।

बिहार और उड़ीसा के शरिया अमीरात के नाजिम मौलाना सना-उल-हुदा कासमी ने कहा कि इस्लाम अन्य धर्मों के देवताओं और बड़ों को बुरा कहने से मना करता हैलेकिन हर समाज में ऐसे लोग होते हैं जो दूसरे धर्मों की निंदा करते हैंऐसे लोगों को चेतावनी दी जानी चाहिए और इसके लिए इसके लिए सभी धर्मों के नेताओं को आगे आना चाहिए ताकि सह-अस्तित्व के माहौल को सुगम बनाया जा सके।

प्रोफेसर इक्तादार मोहम्मद खान ने कहा कि दुनिया का अधिकांश हिस्सा धर्म में विश्वास करता है और धर्म का उद्देश्य मनुष्य की मुक्ति और सुधार हैन कि दूसरों को नुकसान पहुंचाना।

एएमयू के सुन्नी धर्मशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष डा० मुफ्ती जाहिद अली खान ने कहा कि दूसरे धर्मों को बुरा कहना और समाज में अशांति फैलाना सभी धर्मों की शिक्षाओं के खिलाफ है। धर्मों की सकारात्मक और नैतिक शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार करने की आवश्यकता है और इसके लिए अन्य धर्मों की पुस्तकों का वस्तुपरक अध्ययन आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।

डा० यासिर अराफात ने कहा कि बहुलवादी समाज में आपसी सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए दूसरे धर्मों की किताबों को समझना बहुत जरूरी है। धर्मशास्त्र संकाय एएमयू ने इस संगोष्ठी को समयबद्ध तरीके से आयोजित करके सोचने का एक नया तरीका बनाया है।

जनसंपर्क अधिकारी एएमयू उमर सलीम पीरजादा ने कहा कि भारत समग्र संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है और लोकतंत्र पर आधारित है। मुस्लिम विश्वविद्यालय राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देता है और सभी धर्मों को इसके धर्मशास्त्र संकाय में पढ़ाया जाता है।

नई दिल्ली में ब्रिटिश दूतावास के पूर्व अधिकारी असद मिर्जा ने कहा कि मीडिया के माध्यम से विभिन्न धर्मों के आम जनों के मध्य प्रचारित करने की आवश्यकता है। विश्वविद्यालय धर्मों की बुनियादी नैतिक शिक्षाओं को पाठ्यक्रम में शामिल कर सकते हैं।

हैदराबाद के उपाध्यक्ष मौलाना उमर आबिदीन ने कहा कि वर्तमान में कुछ धर्मों को योजनाबद्ध तरीके से निशाना बनाया जा रहा हैजो बहुलवादी समाज के लिए हानिकारक है।

एएमयू ओल्ड बॉयज लखनऊ के सचिव आतिफ हनीफ ने कहा कि सर सैयद ने डेढ़ सौ साल पहले धर्मों की शिक्षाओं को समझने और धर्मों के लोगों के बीच सद्भाव पैदा करने पर जोर दिया था। इस सबक को आज दोहराने की जरूरत है।

संयुक्त राज्य अमेरिका में बसे प्रसिद्ध धार्मिक विद्वान मौलाना नदीम अल-वाजिदी ने कहा कि धर्मों के बीच गलतफहमियों को जानबूझकर फैलाया जाता है और उनका वैज्ञानिक और व्यावहारिक स्तर पर जवाब देने की आवश्यकता है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने अपने जीवन में सत्यार्थ प्रकाश के बारह अध्याय लिखे थे। लेकिन उनकी मृत्यु के बादतेरहवें और चैदहवें अध्याय जोड़े गएऔर दोनों अध्यायों में ईसाई धर्म और इस्लाम को लक्षित किया गया है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एमेरिटस डॉ अब्दुल हक ने कहा कि धर्म न केवल आध्यात्मिकता सिखाते हैं बल्कि रचनात्मक साहित्य की जीवंत जागरूकता भी देते हैं। कुरान ने जिस रचनात्मक साहित्य को बढ़ावा दिया हैवह मौलाना रोम और इकबाल की सार्वभौमिक कविता में परिलक्षित होता है। सभी धर्मों की पुस्तकों का साहित्यिक दृष्टि से अध्ययन किया जाना चाहिए।

धर्मशास्त्र संकाय के डीन प्रोफेसर एम सऊद आलम कासमी ने अध्यक्षीय भाषण देते हुए कहा कि धर्मों के बीच की खाई को पाटने और गलतफहमियों को दूर करने की जरूरत है। विश्वविद्यालय के विद्वान इसे बखूबी कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि हर धर्म की किताब को उसके इतिहास और सामाजिक संदर्भ में समझने की जरूरत है। हम अगर ऐसा नहीं करेंगे तो दूरियां बढ़ेंगी और नफरत कम नहीं होगी। प्रोफेसर कासमी ने कहा कि अन्य धर्मों के विद्वानों को भी मदरसों में आमंत्रित किया जाना चाहिए।

कार्यक्रम के संयोजक डा० नदीम अशरफ ने विभिन्न देशों के ऑनलाइन प्रतिनिधियों से लेखों की समीक्षा करने और उन्हें प्रकाशन के लिए भेजने का अनुरोध किया। सेमीनार के समन्वयक डा० रेहान अख्तर ने कहा कि अगला संगोष्ठी धर्मों की विभिन्न शिक्षाओं पर केंद्रित होगी।

डा० सफदर जुबैर नदवीसचिवइस्लामिक फिकाह अकादमीनई दिल्ली ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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